Friday, August 28, 2015

आरक्षण क्यों : -


नवभारत टाइम्स के ब्लॉग पर आरक्षण के विषय में कुछ लेख पढ़ने को मिले और उन्ही लेखों ने मुझे ये लेख लिखने को प्रेरित किया , जब बात आरक्षण की होती है तो सब भारतीय संविधान द्वारा अनुसूचित-जाती, जनजाति एवं अतिपिछड़ा वर्ग को मिले उस आरक्षण या विशेष अधिकारों की ही बात करतें हैं जिन्हें लागू हुए मुश्किल से 60 वर्ष ही हुए हैं ,कोई उस आरक्षण की बात नही करता जो पिछले 5000 वर्षों से भारतीय समाज में लागू थी
जिसके कारण ही इस आरक्षण को लागू करने की आवश्यकता पड़ी आज ''भारतीय गणराज्य का संविधान'' नामक संविधान, जिसका हम पालन कर रहें है जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ उससे पहले जो संविधान इस देश में लागू था जिसका पालन सभी राजा-महाराजा बड़ी ईमानदारी से करते थे उस संविधान का नाम था ''मनुस्मृति''
आधुनिक संविधान के निर्माता अंबेडकर ने सबसे पहले 25 दिसंबर 1927 को हज़ारों लोगों के सामने इस ''मनुस्मृति'' नामक संविधान को जला दिया ,क्यूंकी अब इस संविधान की कोई आवश्यकता नही थी भारतीय संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसलिए दिया गया क्यूंकी इस देश की 85 प्रतिशत शूद्र जनसंख्या को कोई भी मौलिक अधिकार तक प्राप्त नही था
,सार्वजनिक जगहों पर ये नही जा सकते थे मंदिर में इनका प्रवेश निषिध था सरकारी नौकरियाँ इनके लिए नहीं थी , ये कोई व्यापार नही कर सकते थे , पढ़ नहीं सकते थे , किसी पर मुक़दमा नही कर सकते थे , धन जमा करना इनके लिए अपराध था , ये लोग टूटी फूटी झोपड़ियों में, बदबूदार जगहों पर, किसी तरह अपनी जिंदगिओं को घसीटते हुए काट रहे थे और यह सब ''मनुस्मृति'' और दूसरे हिंदू धर्मशास्त्रों के कारण ही हो रहा था कुछ उदाहरण देखिए-
1.संसार में जो कुछ भी है सब ब्राह्मानो के लिए ही है क्यूंकी वो जन्म से ही श्रेष्ठ है(मनुस्मृति 1/100)
2.स्वामी के द्वारा छोड़ा गया शूद्र भी दासत्व से मुक्त नही क्यूंकी यह उसका कर्म है जिससे उसे कोई नही छुड़ा सकता (8/413)
3.यदि कोई नीची जाती का व्यक्ति ऊँची जाती का कर्म अपना ले तो राजा उसे देश निकाला देदे (10/95)
4.बिल्ली, नेवला चिड़िया मेंढक, गढ़ा, उल्लू, और कौवे की हत्या में जितना पाप लगता है उतना ही पाप शूद्र (अनुसूचितजाती, जनजाति एवं अतिपिछड़ा वर्ग) की हत्या में है (मनुस्मृति 11/131)
5.शूद्र का धन ब्राह्मण निर्भीक होकर छीन सकता है क्यूंकी उसको धन रखने का अधिकार नही (8/416)
6. सब वर्णों की सेवा करना ही शूद्रो का स्वाभाविक कर्तव्य है (गीता,18/44)
7. जो अच्छे कर्म करतें हैं वे ब्राह्मण ,क्षत्रिय वश्य, इन टीन अच्छी जातियों को प्राप्त होते हैं जो बुरे कर्म करते हैं वो कुत्ते, सूअर, या शूद्र जाती को प्राप्त होते हैं (छान्दोन्ग्य उपनिषद् ,5/10/7)
8. पूजिए विप्र ग्यान गुण हीना, शूद्र ना पूजिए ग्यान प्रवीना,(रामचरित मानस)
9.ब्राह्मण दुश्चरित्र भी पूज्‍यनीए है और शूद्र जितेन्द्रीए होने पर भी तरास्कार योग्य है (पराशर स्मृति 8/33)
10. धार्मिक मनुष्या इन नीच जाती वालों के साथ बातचीत ना करें उन्हें ना देखें (मनुस्मृति 10/52)
11. धोबी , नई बधाई कुम्हार, नट, चंडाल, दास चामर, भाट, भील, इन पर नज़र पद जाए तो सूर्य की ओर देखना चाहिए इनसे बातचीत हो जाए तो स्नान करना चाहिए (व्यास स्मृति 1/11-13)
12. अगर कोई शूद्र वेद मंत्र सुन ले तो उसके कान में धातु पिघला कर डाल देना चाहिए- गौतम धर्म सूत्र 2/3/4....
ये उन असंख्य नियम क़ानूनों के उदाहरण मात्र थे, जो आज़ाद भारत से पहले देश में लागू थे ये अँग्रेज़ों के बनाए क़ानून नहीं थे ये हिंदू धर्म द्वारा बनाए क़ानून थे जिसका सभी हिंदू राजा पालन करते थे प्रारंभ में तो इन्हें सख्ती लागू करवाने के लिए सभी राजाओं के ब्राह्मणों की देख रेख में एक विशेष दल भी हुआ करता था
इन्ही नियमों के फलस्वरूप भारत में यहाँ की विशाल जनसमूह के लिए उन्नति के सभी दरवाजे बंद कर दिए गये या इनके कारण बंद हो गये, सभी अधिकार, या विशेष-अधिकार, संसाधन, एवं सुविधायें कुछ लोगों के हाथ में ही सिमट कर रह गईं, जिसके परिणाम स्वरूप भारत गुलाम हुआ
भारत की इस गुलामी ने उन करोड़ों लोगों को आज़ादी का अवसर प्रदान किया जो यहाँ शूद्र बना दिए गये थे , इस तरह धर्मांतरण का सिलसिला शुरू हुआ , बड़ी संख्या में लोगों ने इस्लाम ईसाइयत को अंगीकार किया , अंग्रेज़ो के शासन काल में उन्नीस्वी सदी के प्रारंभ से यहाँ पुनर्जागरण काल का उदय हुआ जिसके नायक यहीं के उच्च वर्गिए लोग थे जो अँग्रेज़ी शिक्षा, संस्कृति से प्रभावित हो कर देश में बदलाव लाने को प्रयत्नशील हुए ,
सती प्रथा को समाप्त किया गया स्त्री शिक्षा के द्वार खोले गये , शूड्रों को नौकरियों में स्थान दिया जाने लगा और कितनी ही क्रूर प्रताओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया ,कई परिवर्थन्शील ,संगठनों का उदय हुआ ऐसे ही समय में अंबेडकर का जन्म हुआ , समाज में कई परिवर्तन हुए थे परंतु अभी भी शूड्रों के जीवन पर इसका कोई
अम्बेडकर का जीवन संघर्ष इस बात का उदहारण है , अम्बेडकर अपने समय के विश्व के पांच सबसे बड़े विद्वानों में से एक थे ,अपने जीवन के कड़े अनुभवों को ध्यान में रखकर उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सदियों से हिन्दू धर्म द्वारा दलित, उत्पीडित बहुसंख्य जनों के उत्थान को समर्पित करते हुए लम्बे संघर्ष में लगा दिया , जिस कारण दुनिया को पहली बार भारत के इस महान अभिशाप का ज्ञान हुआ और पशुओं का जीवन व्यतीत कर रहे उन करोड़ों लोगों को स्वाभिमान से जीवन जीने की ललक पैदा हुई , उन्होंने अपने जीवन के कीमती कई वर्ष हिन्दू समाज, हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू धर्म शाश्त्रों के अध्यन में लगाये ,
अम्बेडकर के प्रयासों का ही नतीजा था की भारत के राजनैतिक और सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने सात सदस्सिए साइमन कमीशन को भारत भेजा जिसका अम्बेडकर ने स्वागत किया लेकिन कांग्रेस ने इसका बहिस्कार कर दिया, और कांग्रेस वर्किंग कमिटी द्वारा १९२८ में नए संविधान की रूप रेखा तैयार की गई जिसके लिए सभी धर्म एवं सम्प्रदायों को बुलाया बुलाया गया लेकिन अम्बेडकर को इससे दूर रखा गया
१२ से १९ जनवरी १९३१ को गोलमेज की प्रथम कांफ्रेंस में पहली बार देश से बाहर अम्बेडकर ने अपने विचार रखे , और शूद्रो की सही तस्वीर पेश की इसी कांफ्रेंस में उन्होंने कानून के शाशन और शारीरिक ताकत की जगह संवैधानिक अनुशाशन की प्रतिष्ठा का दावा किया , सम्मलेन में जो ९ सब कमिटी बनी उन सभी में उन्हें सदस्य बना लिया गया , उनकी योग्यता उनके सारपूर्ण वक्तव्यों की वजह से यह संभव हो पाया, फ्रेंचाइजी कमिटी में उन्होंने दलितों के लिए अलग चुनाव क्षेत्र की मांग की और उनकी सभी मांगों को अंग्रेजी सरकार को मानना पड़ा
अम्बेडकर की इस अभूतपूर्व सफलता ने कांग्रेस की नींद हराम कर दी क्यूंकि सवर्णों की इस पार्टी को डर हुआ की सदियों से जिन्हें लातों तले दबा के रखा , उनसे अपने सभी गंदे से गंदे काम करवाए, अगर उन्हें सत्ता मिल गई तब तो हमारी आने वाली पीडिया बर्बाद हो जाएँगी , हमारा धर्म जो इनसे छीन कर हमें सारी सुविधाएं सदियों से देता आया है वो संकट में पड जायेगा , यही सब सोच कर कांग्रेस के इशारों पर गाँधी ने अम्बेडकर को मिले अधिकारों के विरूद्ध आमरण अनशन की नौटंकी शुरू कर दी , जिसके कारण अंत में राष्ट्र के दबाव में आकर अम्बेडकर को "POONA - PACT " पर हस्ताक्षर करने पड़े जिसके अनुसार अग्रिम संविधान बनाने का मौका अम्बेडकर को दिया जाना तय हुआ बदले में अम्बेडकर को गोलमेज में मिले अपने सभी अधिकारों को छोड़ना पड़ा
इस तरह वर्तमान संविधान का जो की मजबूरी में बना आधारशिला तैयार हुई जिसमें उन्होंने आरक्षण का प्रावधान डाला और दलितों के लिए सभी कानून बनाये अब जरा थोड़ी देर के लिए यह कल्पना कीजिये की अगर अम्बेडकर दलितों के लिए १०० प्रतिशत आरक्षण की मांग करते जो की उनका हक़ है तो क्या होता , परन्तु अम्बेडकर ने ऐसा नहीं किया ,
आज जब सरकारी नौकरियां वैश्वीकरण के नाम पर पूरे षड्यंत्र करी तरीके से समाप्त की जा रहीं हैं , ऐसे में शूद्र एक बार फिर हाशिये पर आगया है ,ऐसे में ये कहना की बचे खुचे आरक्षण को भी समाप्त कर दिया जाये एक बार फिर से शूद्र को गुलाम बनाने की सोची समझी साजिश ही तो है
आज जितने दलित अम्बेडकर के प्रावधानों के कारण सरकारी नौकरियों तक पहुचे हैं और सुख से दो जून की रोटी खा रहे हैं , उससे कहीं अधिक ब्रह्माण आज भी हिन्दू धर्म शाश्त्रों के सदियों पुराने प्रावधानों के कारण देश के लाखों मंदिरों में पुजारी बन अरबों-खरबों के वारे न्यारे कर रहे हैं और देश की खरबों की संपत्ति पर कब्ज़ा जमाये बैठे हैं क्या किसी ने इस आरक्षण को समाप्त करने की बात की....?
क्या किसी ने आज भी दलितों पर होने वालें अत्याचारों को रोकने के लिए आमरण अनशन किया ? क्या किसी ने मिर्च पुर, गोहाना, खैरलांजी,झज्जर,के आरोपियों के लिए फांसी की मांग की ? क्यूँ नहीं पहले ब्रह्माण क्षत्रिय और वैश्य अपने अपने जातीय पहचानों को समाप्त करते ? जाती स्वयं नष्ट हो जाएगी जाती नष्ट होते ही आरक्षण की समस्या सदा के लिए नष्ट हो जाएगी ,ऊपर की जाती वाले क्यूँ नहीं अपने बच्चों की शादियाँ दलितों के बच्चों संग करने की पहल करते ? लेकिन यहाँ तो बात ही दूसरी है इनके बच्चे अगर दलितों में प्रेम विवाह करना चाहें तो ये उनका क़त्ल कर देते हैं धन्य हैं
एक दलित मित्र अपने ब्लॉग में कहतें हैं की अब तो ऐसा नहीं होता तो श्रीमान जी जरा अख़बार पढ़ा करो पता चल जायेगा आज भी इस देश में संविधान के इतने प्रावधानों के बावजूद प्रत्येक दिन तीन दलितों को उनकी जाती के कारण मार दिया जाता है प्रत्येक दिन एक दलित महिला से उसकी जाती के कारण बलात्कार होता हे
आरक्षण खतम करने की बात सब करते है लेकिन जातिवाद खतम करने की कोई बात नही करता.
जातिवाद कि कारण आरक्षण आया है आप लोग जातिवाद खतम कर दो आरक्षण अपने आप खतम हो जयेगा!

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